NEELAM GUPTA

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वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कालाबाजारी का मोह


लोभ लालच के घेरे में खडे इंसान बताओ।

कालाबाजारी कर कितना धन कमाओगे।

माया की रंगीन नगरी मे खोकर।

एक दिन उस प्रभु को क्या अपना मुंह दिखाओगे।


कितनों के दर्द का तुम बने हिस्सा ,

कितना की  बद्ददुआएं साथ लेकर जाओगे ।

कितनों की आंखों से बहाए तुमने आंसू।

एक एक कर्म का जवाब क्या तुम बतलाओगे। 


नफरतो के आईने को नजरअंदाज कर ,

कैसे खुली हवा में सांस ले पाओगे।

अकेले में अपने ही जमीर से कैसे आंख मिलाओगे।

इस पाप की भारी गठरी का, कब तक बोझ उठाओगे।


लूटपाट चोरीचकारी, कर चारा घोटाला,

रिश्वत की कमाई से कब तक घर चलाओगे।

सोने की रोटी से न भरता पेट,

आखिर अपनी जमीन से कब तक दोगलापन छुपाओगे।


यह कालाबाजारी है, गोरखधंधो का सरताज।

बेइमानी की रोटी कब तक पचाओगे। 

सच्चाई की राह पर एक बार चलकर देखो।

सुकून की सुखद दौलत अपने कदमों में पाओगे। 




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6 Comments

Ekta shrivastava

16-Feb-2022 11:52 PM

बहुत सार्थक लाज़वाब

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NEELAM GUPTA

17-Feb-2022 10:50 AM

आपका बहुत-बहुत आभार

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NEELAM GUPTA

17-Feb-2022 10:50 AM

आपका बहुत-बहुत आभार

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Ali Ahmad

16-Feb-2022 11:37 PM

Very nicely written

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Shilpa modi

16-Feb-2022 10:59 PM

बहुत बढिया

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NEELAM GUPTA

17-Feb-2022 10:51 AM

आपका बहुत-बहुत आभार

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